वक़्त की पुकार
वक़्त चलता रहा, हम थमे रह गए, कुछ ख्वाब आँखों में अधूरे रह गए। धूप में जलती रहीं कुछ उम्मीदें,
छाँव की चाह में साए बहक गए।.....
नमस्कार,
"संगत – साहित्य की" एक ऐसा साहित्यिक प्रयास है जो लेखनी के माध्यम से विविध विचारों, भावनाओं और सामाजिक यथार्थ को उजागर करता है। यह संकलन न केवल साहित्य प्रेमियों को रचनात्मक आनंद प्रदान करता है, बल्कि युवा लेखकों और पाठकों को भी प्रेरणा देने का कार्य करता है।
इस संग्रह में सम्मिलित रचनाएं – कविता, कहानी, लेख, और विचार – सभी सामाजिक सरोकारों, सांस्कृतिक विविधताओं और मानवीय अनुभूतियों को उकेरती हैं। ‘संगत’ का उद्देश्य हिंदी साहित्य को जन-जन तक पहुँचाना और नवोदित प्रतिभाओं को मंच प्रदान करना है।
"हिंदी शब्द भूषण सम्मान" के माध्यम से यह मंच उन साहित्य साधकों को सम्मानित करता है, जिन्होंने हिंदी भाषा और साहित्य की सेवा में अपना अमूल्य योगदान दिया है।
‘संगत – साहित्य की’ केवल एक पुस्तक नहीं, यह विचारों की संगति है, संवेदनाओं की अभिव्यक्ति है, और साहित्यिक चेतना का जीवंत प्रमाण है।
"अगर आप भी लेखनी से जुड़ाव रखते हैं, तो यह मंच आपके लिए ही है। अपनी रचनाएँ हमें भेजिए — ‘संगत साहित्य की ’ आपके विचारों और भावनाओं का हार्दिक स्वागत करता है।"
